BA Semester-5 Paper-1 Econimics - Economic Growth and Development - Hindi book by - Saral Prshnottar Group - बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 अर्थशास्त्र - आर्थिक संवृद्धि एवं विकास - सरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 अर्थशास्त्र - आर्थिक संवृद्धि एवं विकास

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :224
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2773
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 अर्थशास्त्र - आर्थिक संवृद्धि एवं विकास - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- बहुराष्ट्रीय निगम क्या है? उनके पक्ष एवं विपक्ष में तर्क दीजिए।

उत्तर-

बहुराष्ट्रीय निगम - बहुराष्ट्रीय निगम से अभिप्राय ऐसे निगम से होता है जो जनक कम्पनी (Parent Company) के नियन्त्रण के अन्तर्गत उसकी शाखा या सहायक कम्पनी आदि के रूप में विभिन्न राष्ट्रों में व्यवसाय संचालित करता है। इस प्रकार फर्म का आधार एक देश में होता है और वह अन्य देशों में वहाँ के निगमों व कानूनों के अनुसार कार्य करती है।

लाल व स्ट्रीटन के अनुसार, “ये सामान्यतः वे विशाल फर्में हैं जिनका कार्यक्षेत्र दूर-दराज तक विस्तृत है तथा वे स्पष्टतः अन्तर्राष्ट्रीय प्रकार की हैं और पाँच से अधिक विदेशी सहायक फर्में या विदेश में उत्पन्न की गई कुल बिक्री का 15 प्रतिशत उत्पादन करती हैं तथा अधिकतम तथा लाभ कमाने के लिए एकात्मक प्रयास करती हैं। "

अतः स्पष्ट है कि बहुराष्ट्रीय निगम विशाल अल्पाधिकारी कम्पनियाँ होती हैं जिनका उत्पादन व व्यवसाय का जाल विश्व भर में फैला हुआ है। वर्तमान में बहुराष्ट्रीय निगमों की संख्या लगभग 40,000 है तथा यह विश्व में लगभग 2,50,000 सहायक कम्पनियों के माध्यम से कार्य संचालित करते हैं। इन निगमों के पास अपार साधन उपलब्ध हैं। विश्व के सर्वाधिक बड़े 200 बहुराष्ट्रीय निगमों का विश्व के सकल घरेलू उत्पादन में हिस्सा लगभग 30 प्रतिशत है। इस प्रकार इस बड़े निगम का विश्व के एक चौथाई से अधिक उत्पादन पर अधिकार है। इन निगमों की उत्पादन तकनीक बहुत विकसित होने के कारण इनकी प्रतिष्ठा विश्व भर में है। अतः यह जो भी वस्तु उत्पादित करते हैं उनकी बिक्री बड़ी सरलतापूर्वक से हो जाती है।

बहुराष्ट्रीय निगमों के पक्ष में तर्क - बहुराष्ट्रीय निगमों से अल्पविकसित देशों के प्रवाहित होने वाले लाभ प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के सिद्धान्तों पर निर्भर करते हैं। ये सिद्धान्त बहुराष्ट्रीय निगम के अल्प-एकाधिकारात्मक परस्पर निर्भरता एवं एकाधिकारात्मक व्यवहार से सम्बन्धित हैं। इसलिए बहुराष्ट्रीय निगम के पक्ष में निम्नलिखित तर्क दिये जा सकते हैं

(1) बहुराष्ट्रीय निगम वित्तीय दृष्टि से बहुत शक्तिशाली होते हैं अतः वे प्रत्यक्ष निवेश के माध्यम से अल्पविकसित देशों को अधिक तथा सस्ती पूँजी उपलब्ध कराते हैं।

(2) वे अल्पविकसित देशों पर अपने फण्डों को अपूर्ण उपरि सुविधाओं यथा यातायात, कुशल श्रमिक इत्यादि नीची बाजार माँग और लागतों की न्यून पूर्ति के होते भी निवेश करने का भारी संकट अपने ऊपर लेते हैं।

(3) वे नये साहसिक कार्य प्रारम्भ करते हैं तथा उच्च प्रशिक्षण, शिक्षा तथा उद्यमीय योग्यताओं के लाभ अल्पविकसित देशों को प्रदान करते हैं।

(4) वे R और D पर आधारित वर्तमान फर्म से उच्चकोटि की तकनीक को अल्पविकसित देशों के लिए स्थानान्तरित करते हैं क्योंकि उनमें R और D पर बड़े फण्डों का खर्च करने की क्षमता होती है। इस कारण अनुसंधान तथा नई प्रक्रियाओं को चालू किया जा सकता है तथा अल्पविकसित देशों में नये भिन्नित उत्पादन होते हैं जो उनके जीवन स्तर को ऊँचा उठाने में सहायक सिद्ध होते हैं।

(5) बहुराष्ट्रीय निगम अपने मुख्यालयों में किये जा रहे बाजार अनुसंधान के माध्यम से अल्पविकसित देशों के अन्तर्गत नई बाजारी तकनीकों को लाते हैं। वे अनोखे विज्ञापन तथा प्रोत्साहन सम्बन्धी विधियों को अपनाते हैं जो खरीददारों को सूचना देते हैं तथा किसी विशेष होड़ उत्पादकों की माँग पैदा करते हैं। इससे प्रतियोगिता को प्रोत्साहन मिलता है।

(6) इन सबसे अधिक बहुराष्ट्रीय निगम का अल्पविकसित देशों में होना सामाजिक दृष्टि से भी अत्यन्त महत्वपूर्ण है क्योंकि यह पूँजी निर्माण, उत्पादन तथा रोजगार में शुद्ध वृद्धि करने में अल्पविकसित देशों की सहायता करते हैं।

बहुराष्ट्रीय निगमों के विपक्ष में तर्क- बहुराष्ट्रीय निगमों के विपक्ष में निम्न तर्क दिये जा सकते हैं-

(1) उपभोक्ताओं का शोषण - निगम प्रतिस्पर्धा को समाप्त करके एकाधिकारी स्थिति स्थापित करते हैं तथा वस्तुओं की ऊंची कीमत निर्धारित करके उपभोक्ताओं का शोषण करते हैं। इन निगमों ने नियन्त्रक देशों की प्राचीन कारीगरी को प्रायः नष्ट कर दिया है। विज्ञापन एवं उपभोक्ता आकर्षण के विभिन्न व्यय साध्य तरीके अपनाकर भी ये निगम उद्योगों में देशी को टिकने नहीं देते तथा उपभोक्ताओं का शोषण करते हैं।

(2) भ्रष्टाचार - इन निगमों के पास अपार धन शक्ति होती है जिसके प्रभाव से ये देश के नेताओं, उच्च अधिकारियों, कानून विशेषज्ञों, अर्थशास्त्रियों को अपने पक्ष में कर लेते हैं तथा अपने लाभ के कार्य कराते हैं। इस प्रकार देश के नियन्त्रण एवं रक्षक ही देश में भ्रष्टाचार फैलाते हैं।

(3) वर्ग विशेष को लाभ - यह निगम अधिकांश विकासशील राष्ट्रों में गैर- प्राथमिकता वाले उपभोक्ता उद्योगों में उत्पादन करने में ही संलग्न हैं और ऐसी वस्तुओं का उत्पादन कर रहे हैं जिनसे सम्पन्न वर्ग की माँग पूरी होती है। अतः इन देशों में गरीब जन समुदाय की उपयोग्य वस्तुओं के उत्पादन की कमी हो जाती है। इसके अतिरिक्त यह निगम अपने कर्मचारियों को ऊँचे वेतन एवं सुविधाएँ भी प्रदान करते हैं जिससे देश में असमानताएँ बढ़ जाती हैं और एक ऐसे वर्ग का उदय हो जाता है जिसका राष्ट्र की संस्कृति से मेल नहीं खाता।

(4) राष्ट्र की प्रभुसत्ता में हस्तक्षेप - बहुराष्ट्रीय निगम नियन्त्रक राष्ट्र की प्रभुसत्ता में हस्तक्षेप करते हैं। संयुक्त राष्ट्र संघ की रिपोर्ट में यह पुष्टि की गई है कि बहुराष्ट्रीय निगमों ने विकासशील राष्ट्रों के आन्तरिक राजनीतिक मामलों में हस्तक्षेप किया है। उदाहरणार्थ, चिली में डॉ. एलेण्डे की सत्ता उखाड़ फेंकने में बहुराष्ट्रीय निगम की ही महत्वपूर्ण भूमिका थी। इसलिए कहा जाता है कि पूँजी के बाद झण्डा भी अनुगमन करता है, अर्थात् विदेशी पूँजी किसी देश में विदेशी हस्तक्षेप का कारण बनती है।

(5) देश के साधनों का अपने हित में प्रयोग - ये निगम विकासशील देशों के अमूल्य साधनों जैसे - कच्चा माल, स्थानीय पूँजी, प्रतिभाशाली नवयुवकों को अधिक ऊँची कीमत पर प्राप्त करके अपने निजी हित में उनका उपयोग करते हैं। इस प्रकार नियन्त्रक देश को उसके अपने साधनों से ही वंचित होना पड़ता है। इन निगमों के कर्मचारियों की राष्ट्रीयता इनका निगम होता है और उसका हित नियन्त्रक राष्ट्र के हित से ऊपर रखा जाता है।

(6) अनुपयुक्त तकनीकी सहायता - बहुराष्ट्रीय निगम नियन्त्रक देश को जो आधुनिक तकनीक सहायता देते हैं वह इन देशों के लिए उपयुक्त नहीं होती। इस प्रकार विकासशील देशों को अनुपयुक्त एवं पुरानी तकनीक प्रदान करके यह निगम अपना बड़ा लाभ अर्जित करते हैं जिससे विकासशील देशों को बड़ी हानि होती है। इसके अतिरिक्त यह निगम नियन्त्रक राष्ट्र को आत्मनिर्भर बनने एवं आधुनिकतम तकनीक प्रयोग करने में भी बाधा उत्पन्न करते हैं, क्योंकि इससे इनके बाजार पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है और प्रतिस्पर्द्धा बढ़ती है।

(7) लाभांश व रॉयल्टी की अदायगी - प्रारम्भ में नियन्त्रक राष्ट्र को विदेशी विनियोग के द्वारा विदेशी मुद्रा प्राप्त होती है, परन्तु बाद में इससे कई गुना अधिक भुगतान लाभांश, रॉयल्टी, टेक्निकल फीस आदि के रूप में विदेशी मुद्रा के रूप में ही करना पड़ता है। परिणामस्वरूप विकासशील राष्ट्रों के सामने भुगतान के लिए विदेशी मुद्रा की विकट समस्या पैदा हो जाती है।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- आर्थिक विकास का आशय तथा परिभाषा कीजिए। आर्थिक विकास की प्रकृति व महत्व का वर्णन कीजिए।
  2. प्रश्न- आर्थिक विकास की परिभाषाएँ दीजिए।
  3. प्रश्न- आर्थिक विकास की विशेषताएँ बताइए।
  4. प्रश्न- आर्थिक विकास की प्रकृति बताइए।
  5. प्रश्न- आर्थिक विकास एवं आर्थिक वृद्धि में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  6. प्रश्न- आर्थिक विकास को प्रभावित करने वाले कारको की विवेचना कीजिये।
  7. प्रश्न- आर्थिक विकास को निर्धारित करने वाले आर्थिक तत्वों का वर्णन कीजिए।
  8. प्रश्न- आर्थिक विकास के अनार्थिक तत्वों को समझाइए।
  9. प्रश्न- आर्थिक विकास पर मानवीय संसाधन के प्रभाव का वर्णन कीजिए।
  10. प्रश्न- जनसंख्या वृद्धि आर्थिक विकास में बाधक हैं?
  11. प्रश्न- बढ़ती हुई जनसंख्या का आर्थिक विकास पर प्रभाव बताइए।
  12. प्रश्न- आर्थिक विकास के मापक बताइये।
  13. प्रश्न- आर्थिक विकास में संस्थाओं की भूमिका समझाइए।
  14. प्रश्न- किसी देश के आर्थिक विकास में विदेशी पूँजी की भूमिका की व्याख्या कीजिए।
  15. प्रश्न- आर्थिक संवृद्धि की गैर-आर्थिक बाधाएँ कौन-कौन सी हैं?
  16. प्रश्न- आर्थिक पिछड़ापन आर्थिक तथा अनार्थिक कारकों का परिणाम है। इस कथन का विश्लेषण कीजिए।
  17. प्रश्न- आर्थिक विकास एवं विकास अन्तराल की माप किस प्रकार की जाती है?
  18. प्रश्न- गरीबी अथवा निर्धनता के अर्थ को स्पष्ट कीजिए, भारत में गरीबी के प्रमुख कारणों पर प्रकाश डालिए।
  19. प्रश्न- विकसित एवं विकासशील देशों की आय एवं सम्पत्ति असमानता में अन्तराल के कारणों का स्पष्ट विवेचन कीजिए।
  20. प्रश्न- मानव विकास सूचकांक की धारणा किन मान्यताओं पर आधारित है, तथा मानव विकास सूचकांक निर्माण करने के चरणों की व्याख्या कीजिए।
  21. प्रश्न- गरीबी रेखा के निर्धारण का क्या महत्त्व है? तथा भारत में गरीबी रेखा के निर्धारण हेतु सरकार द्वारा उठाये गये कदमों पर प्रकाश डालिए?
  22. प्रश्न- प्रसरण प्रभाव को स्पष्ट कीजिए।
  23. प्रश्न- सापेक्ष गरीबी बनाम निरपेक्ष गरीबी पर टिप्पणी लिखिए।
  24. प्रश्न- मानव विकास सूचकांक (HDI) क्या है? यह मानव विकास में कितने आयामों को मानता है?
  25. प्रश्न- भौतिक जीवन कोटि निर्देशांक किसने निर्मित किया? भौतिक जीवन कोटि निर्देशांक किन सूचकों द्वारा की जाती है?
  26. प्रश्न- "कोई देश इसलिए गरीब रहता है क्योंकि वह गरीब है। " स्पष्ट कीजिए।
  27. प्रश्न- निर्धनता के दुष्चक्र को तोड़ने के उपाय बताइये।
  28. प्रश्न- गिनी गुणांक क्या है? गिनी गुणांक कैसे मापा जाता है?
  29. प्रश्न- गिनी गुणांक का महत्व क्या है? स्पष्ट कीजिए।
  30. प्रश्न- लॉरेंज वक्र क्या है?
  31. प्रश्न- वैश्विक भूख सूचकांक क्या है?
  32. प्रश्न- लिंग सम्बन्धित विकास सूचक क्या है?
  33. प्रश्न- मानव निर्धनता सूचक क्या है? स्पष्ट कीजिए।
  34. प्रश्न- खुशहाली सूचकांक क्या है?
  35. प्रश्न- सहस्त्राब्दी विकास लक्ष्य क्या है? स्पष्ट कीजिए।
  36. प्रश्न- सहस्त्राब्दी विकास लक्ष्य (MDG) की महत्वपूर्ण विशेषताएँ बताइये।
  37. प्रश्न- सतत् विकास की अवधारणा स्पष्ट कीजिए।
  38. प्रश्न- आर्थर लुइस द्वारा प्रस्तुत असीमित श्रम आपूर्ति द्वारा आर्थिक विकास के सिद्धान्त का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिए।
  39. प्रश्न- प्रबल प्रयास सिद्धान्त की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
  40. प्रश्न- नैल्सन का निम्नस्तरीय संतुलन अवरोध का सिद्धान्त की चित्रात्मक व्याख्या कीजिए।
  41. प्रश्न- संतुलित विकास के सिद्धान्त की विवेचना कीजिए तथा विकासशील देशों के सन्दर्भ में इसकी सीमाएं बताइए।
  42. प्रश्न- संतुलित विकास के पक्ष में तर्क दीजिए।
  43. प्रश्न- संतुलित विकास के विपक्ष में विभिन्न अर्थशास्त्रियों द्वारा दिये गये तर्कों का वर्णन कीजिए।
  44. प्रश्न- असंतुलित विकास को परिभाषित कीजिए।
  45. प्रश्न- असंतुलित विकास के सम्बन्ध में विभिन्न अर्थशास्त्रियों द्वारा परिलक्षित किये गये विचारों को प्रकट कीजिए।
  46. प्रश्न- संतुलित तथा असंतुलित विकास पद्धति में कौन बेहतर है?
  47. प्रश्न- हर्षमैन के असन्तुलित विकास सिद्धान्त की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए तथा विकासशील देशों के लिए इसकी उपयुक्तता का विवेचन कीजिए।
  48. प्रश्न- संतुलित एवं असंतुलित विकास की व्याख्या कीजिए। भारत जैसे विकासशील देश के लिए किस प्रकार का विकास अपेक्षित है?
  49. प्रश्न- असंतुलित विकास सिद्धान्त को समझाइये |
  50. प्रश्न- सन्तुलित विकास के सम्बन्ध में रोजेन्स्टीन रोडान के विचार को स्पष्ट कीजिए।
  51. प्रश्न- हर्षमैन द्वारा संतुलित विकास के विचार की किस प्रकार आलोचना की गयी है?
  52. प्रश्न- रोस्टोव की आर्थिक विकास की अवस्थाओं का वर्णन एवं आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिए।
  53. प्रश्न- हैरोड तथा डोमर के विकास मॉडल की आलोचनात्मक व्याख्या करते हुए बताइए कि भारत जैसे अल्पविकसित देश में यह कहाँ तक लागू किया जा सकता है?
  54. प्रश्न- हैरोड द्वारा प्रस्तुत विकास दरों व समीकरण बताइए।
  55. प्रश्न- हैरोड के विकास मॉडल की आलोचनायें बताइए।
  56. प्रश्न- हैरोड का विकास मॉडल डोमर के विकास मॉडल से किस प्रकार भिन्न है?
  57. प्रश्न- हैरोड के विकास प्रारूप का संक्षेप में परीक्षण कीजिए। भारत जैसे विकासशील देशों में यह कहाँ तक लागू होता है?
  58. प्रश्न- हैरोड - डोमर मॉडल में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  59. प्रश्न- व्यष्टि स्तर पर नियोजन समझाइए।
  60. प्रश्न- हैरोड - डोमर मॉडल में छुरी-धार सन्तुलन की परिकल्पना को स्पष्ट कीजिए।
  61. प्रश्न- भारत के जनसंख्या वृद्धि की बदलती हुई विशेषताओं पर एक नोट लिखिए।
  62. प्रश्न- जनांकिकी से क्या अभिप्राय है? जनांकिकी संक्रमण सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए।
  63. प्रश्न- जनसंख्या एवं पर्यावरण किस प्रकार एक-दूसरे से सम्बन्धित हैं तथा आर्थिक विकास को कैसे प्रभावित करते हैं? मूल्यांकन कीजिए।
  64. प्रश्न- "जनसंख्या वृद्धि आर्थिक विकास में सहायक है अथवा बाधक।" इस कथन की व्याख्या कीजिए।
  65. प्रश्न- जनसंख्या का आर्थिक विकास पर तथा आर्थिक विकास का जनसंख्या पर पड़ने वाले प्रभाव का मूल्यांकन कीजिए।
  66. प्रश्न- पर्यावरण क्या है? इसके कार्यों को स्पष्ट कीजिए?
  67. प्रश्न- जनसंख्या नीति 2000 की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
  68. प्रश्न- समावेशी विकास की आवधारणा या महत्व क्या है?
  69. प्रश्न- समावेशी विकास के समक्ष चुनौतियाँ क्या हैं?
  70. प्रश्न- समावेशी विकास की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
  71. प्रश्न- बाजार विफलता का अर्थ स्पष्ट कीजिए एवं बाजार विफलता के कारण बताइये।
  72. प्रश्न- सरकार की विफलता के कारण बताइए।
  73. प्रश्न- बाजार विफलता को ठीक करने के उपाय बताइये।
  74. प्रश्न- सरकार की विफलता का अर्थ क्या है तथा इसके क्या कारण हैं?
  75. प्रश्न- सरकार की विफलता का अर्थ बताइए।
  76. प्रश्न- मानव पूँजी क्या है? आर्थिक विकास में मानवीय पूँजी निर्माण की भूमिका एवं महत्व की विवेचना कीजिए।
  77. प्रश्न- "जनसंख्या राष्ट्र के लिये सम्पत्ति है और दायित्व भी।" इस कथन पर टिप्पणी कीजिए।
  78. प्रश्न- मानवीय पूँजी निर्माण का क्या अर्थ है तथा मानवीय संसाधनों के विकास में क्या महत्व है? स्पष्ट कीजिए।
  79. प्रश्न- मानवीय पूँजी निर्माण की समस्याओं पर प्रकाश डालिए।
  80. प्रश्न- मानवीय साधनों में विनियोग कितने मदों में किया जाता है? स्पष्ट कीजिए।
  81. प्रश्न- मानव पूँजी निर्माण के उपायों पर चर्चा कीजिए।
  82. प्रश्न- मानव पूँजी निर्माण के घटकों तथा अर्धविकसित देशों में मानव पूँजी के निम्न स्तर होने के कारणों का स्पष्ट विवेचन कीजिए।
  83. प्रश्न- मानवीय पूँजी निर्माण के क्या-क्या मापदण्ड हैं? तथा इसके मापदण्डों का मूल्यांकन कीजिए।
  84. प्रश्न- आर्थिक विकास से आपका क्या तात्पर्य है? किसी विकासशील (अल्पविकसित ) देश की क्या विशेषताएँ हैं?
  85. प्रश्न- भारत जैसे एक अल्पविकसित देश के प्रमुख लक्षणों पर प्रकाश डालिए। भारत के अल्पविकसित होने के प्रमुख कारणों को बताइए।
  86. प्रश्न- विकसित एवं विकासशील अर्थव्यवस्था के मध्य अन्तर स्पष्ट करते हुए आर्थिक विकास के सूचकांकों पर प्रकाश डालिए।
  87. प्रश्न- अल्पविकास के प्रमुख मापदण्ड़ों को स्पष्ट कीजिये।
  88. प्रश्न- अल्पविकास के कारणों को स्पष्ट कीजिये।
  89. प्रश्न- विकसित एवं विकासशील अर्थव्यवस्था में अन्तर स्पष्ट करें।
  90. प्रश्न- क्या भारत एक अल्पविकसित देश है? स्पष्ट कीजिये।
  91. प्रश्न- अल्पविकसित अर्थव्यवस्था की प्रमुख विशेषतायें लिखिये।
  92. प्रश्न- आर्थिक संवृद्धि एवं आर्थिक विकास में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  93. प्रश्न- मिर्डल के चक्रीय कार्यकरण का सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए।
  94. प्रश्न- विकास के फाई एवं रेनिस सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए।
  95. प्रश्न- फाई- रेनिस सिद्धान्त की मान्यताएँ बताइए।
  96. प्रश्न- फाई- रेनिस के सिद्धान्त को रेखाचित्र द्वारा स्पष्ट कीजिए।
  97. प्रश्न- फाई-रेनिस सिद्धान्त की आलोचनाएँ बताइए।
  98. प्रश्न- प्रो. हिणिन्स द्वारा प्रतिपादित औद्योगिक द्वैतवाद सिद्धान्त की आलोचनात्मक विवेचना कीजिए।
  99. प्रश्न- तकनीकी द्वैतवाद पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  100. प्रश्न- 'द्वैतवाद' एक विकासशील अर्थव्यवस्था के विकास की किस प्रकार बाधित कर सकती है?
  101. प्रश्न- बोइके का सामाजिक दुहरापन सिद्धान्त समझाइये।
  102. प्रश्न- मिन्ट का वित्तीय दुहरेपन को दूर करने का विकास सिद्धान्त क्या है?
  103. प्रश्न- अल्पविकास का निर्भरतापरक सिद्धान्त स्पष्ट कीजिए।
  104. प्रश्न- काल्डोर का आर्थिक वृद्धि मॉडल की व्याख्या कीजिए।
  105. प्रश्न- हैरड की तटस्थ तकनीकी प्रगति को स्पष्ट कीजिए।
  106. प्रश्न- तटस्थ एवं गैर तटस्थ तकनीकी प्रगति क्या है? तटस्थता के सम्बन्ध में हिक्स की धारणा स्पष्ट कीजिए।
  107. प्रश्न- आर्थिक विकास में तकनीकी प्रगति का महत्व स्पष्ट कीजिए।
  108. प्रश्न- सोलो के दीर्घकालीन वृद्धि मॉडल की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए [
  109. प्रश्न- सोलो मॉडल की सीमाएँ लिखिए।
  110. प्रश्न- सोलो के वृद्धि मॉडल के अनुसार एक अर्थव्यवस्था में उत्पादन किन तत्वों पर निर्भर करता है? संक्षेप में व्याख्या कीजिए।
  111. प्रश्न- करने से जानकारी (कौशल अर्जन) (Learning By Doing) को स्पष्ट कीजिए।
  112. प्रश्न- तकनीकी प्रगति का अभिप्राय क्या है?
  113. प्रश्न- स्टिग्लिट्ज का असममित सूचना सिद्धान्त स्पष्ट कीजिए।
  114. प्रश्न- शोध एवं विकास (Research and Development ) पर टिप्पणी कीजिए।
  115. प्रश्न- किसी देश के आर्थिक विकास में शिक्षा, शोध एवं ज्ञान की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
  116. प्रश्न- अन्तर्जात संवृद्धि सिद्धान्त को स्पष्ट कीजिए।
  117. प्रश्न- एक विकासशील अर्थव्यवस्था में विदेशी पूँजी की आवश्यकता महत्व तथा खतरों की विवेचना कीजिए।
  118. प्रश्न- बहुराष्ट्रीय निगम से आप क्या समझते हैं? भारत जैसे विकासशील देश में निजी क्षेत्र एवं बहुराष्ट्रीय निगमों की क्या भूमिका है?
  119. प्रश्न- विश्व बैंक के क्या कार्य हैं? विकासशील देशों के सम्बन्ध में विश्व बैंक की क्या नीति है?
  120. प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय मुद्राकोष की स्थापना कब हुई थी तथा विकासशील देशों के सम्बन्ध में अन्तर्राष्ट्रीय मुद्राकोष की नीतियों की स्पष्ट विवेचना कीजिए।
  121. प्रश्न- मौद्रिक नीति के प्रमुख उद्देश्यों की व्याख्या कीजिए।
  122. प्रश्न- बहुराष्ट्रीय निगम क्या है? उनके पक्ष एवं विपक्ष में तर्क दीजिए।
  123. प्रश्न- भारत के बाह्य ऋण' समझाइये |
  124. प्रश्न- 'प्रत्यक्ष विदेशी निवेश' पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  125. प्रश्न- निजी विदेशी निवेश के विचार से आप क्या समझते हैं?
  126. प्रश्न- आर्थिक विकास में घाटे का वित्त प्रबंधन की भूमिका की व्याख्या कीजिए [
  127. प्रश्न- किसी देश के आर्थिक वृद्धि में विदेशी व्यापार की भूमिका की व्याख्या कीजिए।
  128. प्रश्न- एक विकासशील अर्थव्यवस्था में मौद्रिक नीति किस प्रकार कार्य करती है? स्पष्ट कीजिए।
  129. प्रश्न- विश्व बैंक के कार्यों की प्रगति को स्पष्ट कीजिए।
  130. प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की सफलताओं एवं असफलताओं को स्पष्ट कीजिए।
  131. प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष से भारत को होने वाले लाभों का विश्लेषण कीजिए।
  132. प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के कार्यों को स्पष्ट कीजिए।
  133. प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय मुद्राकोष के उद्देश्यों का विवेचन कीजिए।
  134. प्रश्न- विश्व बैंक से भारत को क्या लाभ हुए हैं? समझाइये |
  135. प्रश्न- विश्व बैंक की प्रमुख आलोचनायें लिखिये।
  136. प्रश्न- विश्व बैंक के उद्देश्यों को स्पष्ट कीजिए।
  137. प्रश्न- विश्व बैंक के कार्यों का विश्लेषण कीजिए।

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